![]() |
| आंखें जगमगाती है वो चेहरा जगमगाता है |
वो आंखें जगमगाती है वो चेहरा जगमगाता है
नबी के इश्क़ से जिसका भी सीना जगमगाता है।
पहुंच कर चांद पे कहना पड़ा साइंस दानों को
मेरे सरकार का शहर है मदीना जगमगाता है।
सितारे आसमां के शर्म से मुंह को छुपाते हैं
रुख़े सरकार पर जिस दम पसीना जगमगाता है।
मेरे ताजुश्शरिया जिस इलाक़े में भी जाते हैं
क़सम अल्लाह के सारा इलाक़ा जगमगाता है।
हज़ारों पीर बैठे हैं मगर इन सारे पीरों में
अरे देखो मेरा ताजुश्शरिया जगमगाता है।
ज़मीन ए हिंद पर हैं एक से एक नात ख़्वां लेकिन
असद फ़ैज़े रज़ा से आज तन्हा मुस्कुराता है।
शायर: असद इक़बाल
Share This :


0 comments