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आक़ा के नवासे ने मुसल्ला नहीं छोड़ा |
आक़ा के नवासे ने मुसल्ला नहीं छोड़ा
सर तन से जुदा हो गया सजदा नहीं छोड़ा।
घर लूट गया ख़ेमे को जलाया गया लेकिन
जै़नब ने किसी हाल में पर्दा नहीं छोड़ा।
शब्बीर का यह जौहरे खंजर तो देखिए
जो सामने आया उसे ज़िंदा नहीं छोड़ा।
रण में चला है इब्ने अली सबको लिए साथ
6 माह के असग़र को भी तन्हा नहीं छोड़ा।
ख़ुश्तर वह मेरा पीर बरेली का है अख़्तर
जिसने कभी भी दम ने तक़वा नहीं छोड़ा।
शायर: ख़ुश्तर कानपुरी
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